1. श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलका को उनके उपन्यास ‘सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ के लिए बुकर पुरस्कार 2022 मिला
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श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलका द्वारा रचित उपन्यास "सेवन मून्स ऑफ़ माली अल्मेडा" ने बुकर पुरस्कार 2022 जीता है। वह प्रतिष्ठित साहित्य पुरस्कार जीतने वाले दूसरे श्रीलंकाई हैं।
17 अक्टूबर 2022 को यूनाइटेड किंगडम की पटरानी कैमिला द्वारा शेहान करुणातिलक को बुकर पुरस्कार प्रदान किया गया।
"सेवन मून्स ऑफ़ माली अल्मेडा" एक फोटोग्राफर के बारे में है जो मृत्यु के एक सप्ताह के भीतर जागता है और अपने दोस्तों से उसकी तस्वीरें खोजने और युद्ध की क्रूरता को उजागर करने के लिए कहता है।
लेखक ने कहा कि उन्होंने 2009 में श्रीलंकाई गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद "एक भूत की कहानी जहां मृतक अपने दृष्टिकोण की पेशकश कर सकते थे" लिखने का फैसला किया, "जब देश मेंइस बात पर एक उग्र बहस शुरू हुई कि गृहयुद्ध में कितने नागरिक मारे गए और यह किसकी गलती थी"।
इस पुरस्कार के विजेता को £50,000 (ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग) की पुरस्कार राशी दी जाती और , अन्य पांच लेखकों जिन्हें अंतिम छह में चुना जाता है ,प्रत्येक को £2,500 दिया जाता है ।
बुकर पुरस्कार
- बुकर पुरस्कार जिसे पहले मैन बुकर पुरस्कारकहा जाता था, 1968 में एक ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय कंपनी बुकर मैककोनेल द्वारा स्थापित किया गया था। पहला पुरस्कार 1969 में दिया गया था। यह पुरस्कार पहली बार 1969 में पीएच न्यूबी(PH Newby) को उनकी कृति "समथिंग टू आंसर फॉर" के दिया गया था ।
- यह पुरस्कार यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में पुरस्कार के लिए नामित वर्ष में प्रकाशित अंग्रेजी में लिखे गए सर्वश्रेष्ठ उपन्यास को प्रदान किया जाता है ।
- यह पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय अरुंधति रॉय थी, जिन्हें उनकी रचना द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स के लिए 1997 में मिली थी ।
- अन्य भारतीय विजेता हैं; किरण देसाई को 2006 में उनकी रचना द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस के लिए(The Inheritance of Loss ), और अरविंद अडिगा को 2008 में उनकी रचना द व्हाइट टाइगर (The White Tiger) के लिए मिला था ।
अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
- यह भी हर साल बुकर फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है।
- लेकिन बुकर पुरस्कार के विपरीत यह एक उपन्यास को दिया जाता है जिसका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया हो और नामितवर्ष में यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित किया गया हों ।
- गीतांजलि श्री, अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका हैं । उनके हिंदी उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (रेत समाधि) के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया था ।